Thursday, January 4, 2024

आँख से दिखता नहीं

आँख से दिखता नहीं 

ब्लैडर होल्ड करता नहीं 

आइसक्रीम छोड़ सकता नहीं 

जीवन के इस पड़ाव को

मोड़ मैं सकता नहीं 


त्वचा शुष्क है

जूता काटता है

घाव भरता नहीं 

ये साइकिल है, साइकिल 

जिसे मैं तोड़ सकता नहीं 


बोतल खुलती नहीं (पानी की)

वज़न उठता नहीं 

शौक़ है इतने 

कि समय रहता नहीं 

आई है तो जाएगी 

ज़िन्दगी भाग जाएगी 

इसे मैं रोक सकता नहीं 


राहुल उपाध्याय । 4 जनवरी 2024 । अम्स्टर्डम






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