वो कहते हैं हम पे रहम करो
जो खेले लाखों-अरबों में
जज क्यूँ असमंजस में बैठे हैं
दे सकते हैं निर्णय दो मिन्टों में
ये दुख-दर्द की गाथा गाते हैं
बीमारी की बातें करते हैं
लड़की और बीवी का कोई नहीं
कह-कह के पाँव ये पड़ते हैं
ईमान-धरम की दुहाई दे
दरियादिली का पाठ ये दे
हम ग़रीबों की कोई सुनवाई नहीं
न कोर्ट सुने न कोई काम भी दे
हर क़ानून हम पे हो लागू
हर दाम हम ही से लेते हैं
हम पर न कोई रहम करे
हर बात पे कान पे धरते हैं
लूटते हैं हमसे हमारी कमाई
ख़ुद ऐश-औ-आराम करते हैं
जब चाल ग़लत कोई पड़ जाए
कोर्ट-कचहरी में फँसते हैं
वो कहते हैं हम पे रहम करो
जो खेले लाखों-अरबों में
जज क्यूँ असमंजस में बैठे हैं
दे सकते हैं निर्णय दो मिन्टों में
राहुल उपाध्याय । 7 जनवरी 2024 । अम्स्टर्डम
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सुन्दर
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