मेरे बारे में लोग बात करते हैं
कुछ अच्छा तो कुछ बुरा कहते हैं
ज़िन्दगी के तजुर्बे हैं कुछ ऐसे
के समझ आने में दिन तो लगते हैं
मेरी औक़ात क्या, मैं किसे दोष दूँ
सबमें मेरे ही गुण-दोष दिखते हैं
बन गया जो बनना था, अब और क्या
जैसे चलते थे वैसे ही दिन अब चलते हैं
कल क्या होगा किसको पता
प्यार के नतीजे महीनों में मिलते हैं
राहुल उपाध्याय । 26 जनवरी 2024 । सिएटल
1 comments:
मोदी जी फिर से २०२४ मे|
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