मैं जानता हूँ
वह इंसान है
प्यार भी करती है
और ग़ुस्सा भी
समझती भी है
और अंजान भी
ग़ुस्सा करती भी है
तो सिर्फ़ एक बार
पूरे दिन में
सिर्फ़ एक बार
मुझे इतना भरोसा नहीं है मुझ पर
जितना है उस पर
समझ नहीं आता कि
जिसे पूजना चाहिए
न जाने क्यों
मेरी दोस्त है
राहुल उपाध्याय । 22 सितम्बर 2024 । टोक्यो
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