Saturday, September 28, 2024

पेंसिल स्केच

मैं रोज़ 

घुसा देता हूँ 

ख़ुद को

एक पेंसिल स्केच में

इस कोशिश में कि

शायद किसी भीड़ का हिस्सा बन जाऊँ 

कोई रंग मुझ पर चढ़ जाए

जीने का उद्देश्य मिल जाए

और

लौट आता हूँ 

कोरा

अनछुआ

बेदाग़ 


राहुल उपाध्याय । 28 सितम्बर 2024 । होनोलुलु



इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: