समंदर को कोई कितना देखे
रेत पे सर घिसता देखे
सूरज को कोई कितना देखे
सुबह-शाम उगता-डूबता देखे
कुछ बदलें नज़ारे, कुछ मज़ा भी आए
पल-पल कुछ बदलता देखे
कोई काम भी हो, कोई वजह भी हो
बिन बात के आदमी क्या-क्या देखे
तनहा-तनहा क्या-क्या देखे
कोई साथ में हो तो कुछ ना देखे
राहुल उपाध्याय । 26 सितम्बर 2024 । होनोलुलु
0 comments:
Post a Comment