Monday, September 9, 2024

रात भर कोई चलता रहा

रात भर कोई चलता रहा

दीपक बन जलता रहा


क़िस्मत कहाँ है ख़्वाब की अच्छी 

एक के सहारे पलता रहा


शांत हूँ लेकिन शांति कहाँ 

मन ही मन मैं उबलता रहा


आँखों में किसी की प्यार जो पाया

पाने को उसे मैं मचलता रहा


बोता हूँ सीमेंट, बनाता हूँ घर 

पेड़ कटते रहे, मैं फलता रहा


राहुल उपाध्याय । 10 नवम्बर 2024 । दिल्ली 


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