रात भर कोई चलता रहा
दीपक बन जलता रहा
क़िस्मत कहाँ है ख़्वाब की अच्छी
एक के सहारे पलता रहा
शांत हूँ लेकिन शांति कहाँ
मन ही मन मैं उबलता रहा
आँखों में किसी की प्यार जो पाया
पाने को उसे मैं मचलता रहा
बोता हूँ सीमेंट, बनाता हूँ घर
पेड़ कटते रहे, मैं फलता रहा
राहुल उपाध्याय । 10 नवम्बर 2024 । दिल्ली
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