अच्छा हुआ
वज़न गिर गया
हाथ पतले हो गए
पट्टा और छोटा हो नहीं सकता
इसलिए
अब कलाई पर
घड़ी के निशान नहीं पड़ते हैं
शादी में मिली
अँगूठी और चैन
कब की उतर गईं थीं
चश्मा भी उतर गया है
बाल भी कम हैं
अब मैं
चिह्नरहित हूँ
बेदाग़ हूँ
अब मैं
जैसा आया था वैसा
घर जा सकता हूँ
मुँह दिखा सकता हूँ
राहुल उपाध्याय । 3 सितम्बर 2024 । गोरखपुर
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