डूबते को तिनका नहीं 'lifeguard' चाहिए 'graduate' को नौकरी ही नहीं एक 'green card' चाहिए खुशियाँ मिलती थी कभी शाबाशी से हर किसी को अब 'monetary reward' चाहिए जो करते थे दावा हमारी हिफ़ाज़त का उन्हें अपनी ही हिफ़ाज़त के लिये 'bodyguard' चाहिए घर बसाना इतना आसान नहीं इन दिनों कलेजा पत्थर का और हाथ में 'credit card' चाहिए 'blog, email' और 'newsgroup' के ज़माने में भुला दिये गये हैं वो जिन्हें सिर्फ़ 'postcard' चाहिए सिएटल, 24 फ़रवरी 2007
Monday, May 12, 2008
21 वीं सदी
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:19 PM
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Labels: CrowdPleaser, digital age, hinglish, TG
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1 comments:
राहुल जी, आपने तो हमे घायल कर दिया। अब आगे क्या बोलूं!
गजब का व्यंग्य समाहित है।
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