बनने चला था कवि
मैं 'गाईड' बन गया हूँ
बेसहारा बेबस की
मैं 'राईड' बन गया हूँ
न बुद्धिजीवों में 'हिट' हूँ
न किसी फ़्रेम में मैं 'फ़िट' हूँ
विरोध तो होता है लेकिन
मैं भी बड़ा ढीट हूँ
सास भी जिस से डरे
मैं वो 'ब्राईड' बन गया हूँ
जिस थाली में खाता हूँ
उसी में छेद कर रहा हूँ
सदियों पुरानी मान्यताओं
में हस्तक्षेप कर रहा हूँ
आरोप है कि अंधो के बीच
मैं 'वन-आईड' बन गया हूँ
शब्दों से खेलता हूँ
सब की पोल खोलता हूँ
किसी को नहीं बख्शा है
खुद को भी टटोलता हूँ
समाज की गंदगी का
मैं 'टाईड' बन गया हूँ
पढ़ते हैं वो देशवासी
जो दूर हैं अपने देश से
कभी खुश हैं तो कभी दुखी
अपने कर्म से परिवेश से
उनकी भावनाओं का
मैं 'प्राईड' बन गया हूँ
सिएटल,
7 मई 2008
=========================
गाईड = guide
राईड = ride, lift, a means of or arrangement for transportation by motor vehicle:
हिट = hit
फ़्रेम = frame
फ़िट = fit
ढीट = stubborn
ब्राईड = bride
वन-आईड = one eyed, काना,
बख्शा = spared
टाईड = Tide, a popular laundry detergent
परिवेश = environment
प्राईड = pride
Wednesday, May 7, 2008
गाईड
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:20 AM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
Labels: CrowdPleaser, hinglish, Why do I write?, world of poetry
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment