मेरा 6 साल का बेटा
मिहिर
अभी से जानता है कि
हमारे सोलर सिस्टम में
आठ ग्रह हैं
पहले नौ होते थे
लेकिन इन दिनों
प्लूटो क्लब से बाहर है
लेकिन उसे यह नहीं मालूम कि
दूध डब्बों से नहीं गाय से आता है
उसने फल हमेशा
सजे सजाए देखे हैं
कभी दुकान पर
तो कभी घर पर
लेकिन उसने वे फल
कभी पेड़ पर लगे नहीं देखे हैं
हमारे घर में पेड़ हैं
हमारे मोहल्ले में पेड़ हैं
पार्क में
स्कूल में
चारो तरफ़ पेड़ ही पेड़ हैं
लेकिन सारे पेड़ बांझ हैं
एक बार पूछा था
तो पता चला
कि फलदार पेड़ों की
देखरेख बहुत महंगी है
फल आते हैं
तो चिड़िया आती हैं
बहुत गंद फ़ैलाती हैं
फल आते हैं
तो बेहिसाब आते हैं
रोज सड़-सड़ कर गिरेंगे
कौन लेगा जिम्मेदारी
उनकी सफ़ाई की?
वो जानता है कि
उसके डैडी आँफ़िस जाते हैं
सुना है कि
कुछ काम भी करते हैं
लेकिन क्या?
मेरे हाथों से उसने कभी
कुछ बनते नहीं देखा हैं
मेरे काम के बदले
मुझे किसी से कुछ
मिलते हुए भी नहीं देखा है
फल रहित पेड़
फल रहित कर्म
फल रहित जीवन?
सिएटल,
23 मई 2008
Friday, May 23, 2008
मेरा 6 साल का बेटा
Posted by Rahul Upadhyaya at 5:00 PM
आपका क्या कहना है??
2 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: 24 वर्ष का लेखा-जोखा, bio, intense, nature, relationship, TG
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
Very touching!
फल रहित पेड़
फल रहित कर्म
फल रहित जीवन?
kitna sahi..kitna sachchha sparsh..
wah..bahut sahi..
Post a Comment