हम तुम जब अलग थे एक दूसरे के प्रति सजग थे मेरा फ़क्कड़पन तुम्हें रास आता था तुम्हारा अल्हड़पन मुझे भा जाता था हम-तुम जब अलग थे एक दूसरे से 'अलग' थे बाहर के अंतर के बावजूद अंदर के 'अंतर' से आकर्षित थे हम-तुम अब साथ हैं बदले-बदले से जज़बात हैं रिश्ते बनते ही हम बंधने लग जाते हैं रिश्ते बनते ही हम बनने लग जाते हैं मन में होता है कुछ और करने कुछ लग जाते हैं दिल में होता है कुछ और कहने कुछ लग जाते हैं एक दूसरे को छलने लग जाते हैं हमेशा रही ये धारणा तुम्हारी कि मैं ही जीता और बस तुम हारी कटाक्ष के कड़वे तीर मार के बारी-बारी एक दूसरे को छलने लग जाते हैं वो मेरा फ़क्कड़पन वो तुम्हारा अल्हड़पन वो मेरा ठहाका मार कर हंसना वो तुम्हारा देर रात तक जगना एक दूसरे को खलने लग जाते हैं हमारी पसंद-नापसंद से हमारे दोस्तों के संग से हमारे उठने-बैठने के ढंग से हमारे कपड़ों के रंग से हमारे व्यक्तित्व पर आवरण चढ़ने लग जाते हैं उसी आवरण से एक दूसरे को पहचानने लग जाते हैं और हमारे अंतरगत अंतर और बढ़ने लग जाते हैं हम-तुम जब अलग थे एक दूसरे के प्रति सजग थे अब जब हो गया है मिलाप तो है खामियों का पश्चाताप एक दूसरे की खामियों को गिनते गिनते टूटे हुए सपनों के टुकड़े बिनते बिनते रिश्तों के बंधन में घुटते जाते हैं रिश्ते के बंधन टूटते जाते हैं अलग होने के रास्ते खुलने लग जाते हैं रिश्ते बनते ही हम बंधने लग जाते हैं रिश्ते बनते ही हम बनने लग जाते हैं सिएटल 14 दिसम्बर 2007 Glossary: अंतर = 1. difference 2. soul अलग = 1. different 2. separate, apart बनना = 1. pretend 2. to form छलने = 1. to cheat 2. to pierce and make tiny holes और = 1. and 2. more रिसते = 1. oozing, leaking, dripping (as in a wound)
Thursday, May 15, 2008
रिसते रिश्ते
Posted by Rahul Upadhyaya at 1:30 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels: relationship, TG
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comments:
natural expression from heart in words with a deep meaning. it is very very good . may god bless you bapa
Post a Comment