सावन बरसता था
मैं भीगता था
अच्छा लगता था
कोई अपना बरसता था
मैं भीगी बिल्ली बन जाता था
बुरा लगता था
फिर गीता मिली
उसने कहा
अच्छा-बुरा सब भ्रम है
किसी को चाहना
किसी को भुलाना
व्यर्थ का परिश्रम है
रिश्ता निभाना ही तुम्हारा धर्म है
पीड़ा या आनंद पाना तुम्हारा कर्म है
सिएटल,
6 जनवरी 2008
Friday, May 16, 2008
गीता
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