बच्चे हमारे आज हो गए बड़े
पाँव पर अपने देखो ये हैं खड़े
नन्हें-मुन्नों को ले आगे बढ़े
हँसें तो लगे जैसे मोती जड़े
आओ चलो मिलकर दुआ करें
सफ़लता की सीढ़ी ये हरदम चढ़ें
आए मुसीबत, डट कर लड़ें
दिन दूनी रात चौगुनी ख्याति बढ़े
मिले पुरुस्कार, खिताब बड़े
इनके ही चर्चे, इनके ही किस्से
सदा सुनें और सदा पढ़ें
17 अगस्त 2008
[अनूप जी के कहने पर इस कविता और ट्रिप के बारे में थोड़ा खुलासा।
13 अगस्त से 17 अगस्त तक सिएटल की एक संस्था - आई-ए-डबल्यू-डबल्यू - (पश्चिमी वाशिंगटन भारतीय संघ) ने "कैम्प भारत 2008" का आयोजन किया था। स्थान था सिएटल से कुछ दूर, पोर्ट टाउनसेंड स्थित "फ़ोर्ट वार्डेन।" ये कोई किला नहीं है, बल्कि एक परिसर है जहाँ से तोप आदि शस्त्र के साथ सैनिक एक खास मुकाम की किसी आक्रमण से रक्षा करते है। यहाँ सैनिक रहते तो थे, तोपें भी थी, लेकिन यहाँ कभी भी कोई लड़ाई नहीं हुई, क्योंकि कोई आक्रमण भी नहीं हुआ।
अब इस फ़ोर्ट को एक रिज़ोर्ट का रुप दे दिया गया है - जहाँ सैनिको के केबिन को होटल के कमरों में बदल दिया गया है। कई तरह की आधुनिक सुविधाए मौजूद है। एक शानदार भोजनालय है - जहाँ अत्यंत स्वादिष्ट भोजन बनाया जाता है और अति सुरुचिपूर्ण तरीके से परोसा जाता है।
"कैम्प भारत 2008" में 9 वर्ष से 17 वर्ष की आयु तक के कुल 160 बच्चे थे। उनमें से 15-17 वर्षीय बच्चों को वाय-बी और वाय-सी नियुक्त किया गया और इन्होंने ज़िम्मेदारी ली इस कैम्प की रूपरेखा तैयार करने की और उसे चलाने की। कब क्या होगा, कहाँ होगा, कैसे होगा। सब इनके सर पर। मुझ जैसे 16 वयस्क स्वयंसेवक नियुक्त किए गए जो कि ज़रुरत पड़ने पर इन वाय-बी/वाय-सी की मदद कर सके। जैसे कि खेल कूद के दौरान रेफ़्री बन जाए, तम्बू गाड़ दे, कुर्सीयाँ आदि यहाँ से वहाँ रख दे। मुझे काम सौपा गया था - अधिकृत फ़ोटोग्राफ़र का और कबड्डी के रेफ़्री का।
उन पाँच दिनों में मैंने इन वाय-बी/वाय-सी को अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी हँसते-हँसाते हुए निभाते देखा। ये पाँच दिन इतने सुखमय बीते कि इसकी तुलना नहीं की जा सकती। बस समझ लीजिए कि जैसे मैं किसी राजकुमार की बरात में गया था।
आते वक्त मेरे मन में एक विचार आया कि 'बच्चे हमारे आज हो गए बड़े।' और जैसा कि आमतौर पर होता है, पहली पंक्ति बनते ही पूरी कविता तैयार हो गई। ]
4 comments:
आमीन!
मैंने सारे फोटो देखे। बहुत अच्छे लगे। इस ट्रिप के बारे में विस्तार से लिखना चाहिये।
aamin
ye huI naa baat shaanadaar foTo vaah vaah :)
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