छल-छल के छलनी किया मछली ने मुझे
उड़-उड़ के लूटा तितली ने मुझे
दिल्ली वाली बिल्ली दिल ले गई
चेन्नई वाली चिड़िया चैन ले गई
कहीं का न छोड़ा किसी गली ने मुझे
पागल दीवाना जब दिल हो गया
उनका इरादा तबदील हो गया
प्यासा लौटाया बदली ने मुझे
चंचल छबीली मुझे टीज़ कर गई
छप्पन छुरी ऐसी टीस भर गई
जैसे धर दिया हो ब्रूस-ली ने मुझे
सिएटल,
19 अगस्त 2008
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छल =to deceive
छलनी = to be full of small holes
तबदील = change
टीज़ = tease
छप्पन छुरी = अपने रुप से पुरुषों पर गहरा वार करने वाली रमणी
टीस =throbbing pain
ब्रूस-ली = Bruce Lee
Tuesday, August 19, 2008
छप्पन छुरी
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:36 PM
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5 comments:
gazab kar diya, dilli se chennai tak sab dekh liya, chhapanchhuri tak to thik tha , ye bruce lee se kyon panga le liya achha laga padh kar aanand aa gaya
वाह.. क्या बात है.. राहुल जी , अच्छी कविता...
vaah kya baat hai, maza aa gya. tukbandi main bhi gazab ke bhaav hain...
bhut badhiya.
Rahul
aap ka pura blog padha .dil ki safgoi ka kayal hua gazal likhne bhar ki aukatnahi per samajh bhar len bahut hoga..mere blog per shayad likhi hui kuchh lain aap ko bhi pasand aasakti hain
sumati
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