बहुत घटिया, बड़ी अधपकी सी
लिखी कविता आपने जो मन को उबाएँ
सब करे वाह वाह, मैं रहूँ चुप-चुप
करूँ क्या ये मेरी समझ में न आए
कहूँ अति सुंदर या कहूँ अच्छी
या कह डालूँ बात सारी सच्ची
ख़ुदा करे कुछ ऐसा
कि आगे आप और कुछ लिख ही न पाए
लिखी तो बहुत है, नहीं एक में भी दम है
कि एकाध तो ऐसी कि जैसे बलगम है
मगर ये पाठक दुआ माँगता है
कि आपकी कलम और दवात छूट जाए
मुझे डर है आपमें ग़ुरूर आ न जाए
लगे झूमने और सुरूर आ न जाए
कहीं आप झूठी तारीफ़ सुनकर
लिखने के साथ साथ गाने न लग जाए
सिएटल,
25 अगस्त 2008
(एस-एच बिहारी से क्षमायाचना सहित)
============================
बलगम = phlegm
लिखी कविता आपने जो मन को उबाएँ
सब करे वाह वाह, मैं रहूँ चुप-चुप
करूँ क्या ये मेरी समझ में न आए
कहूँ अति सुंदर या कहूँ अच्छी
या कह डालूँ बात सारी सच्ची
ख़ुदा करे कुछ ऐसा
कि आगे आप और कुछ लिख ही न पाए
लिखी तो बहुत है, नहीं एक में भी दम है
कि एकाध तो ऐसी कि जैसे बलगम है
मगर ये पाठक दुआ माँगता है
कि आपकी कलम और दवात छूट जाए
मुझे डर है आपमें ग़ुरूर आ न जाए
लगे झूमने और सुरूर आ न जाए
कहीं आप झूठी तारीफ़ सुनकर
लिखने के साथ साथ गाने न लग जाए
सिएटल,
25 अगस्त 2008
(एस-एच बिहारी से क्षमायाचना सहित)
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बलगम = phlegm
3 comments:
bahut achchi.....
:) Ameen!!!
हो खुद को जो पसंद वही फीडबॅक दीजिए
कविता में ना हो दम तो संवेदना दीजिए
अर्पित
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