कहते कहते प्रियतम
तुम्हें लगने लगा है प्रिय तम
अब अंधेरा ही तुम्हे रास आता है
और वहीं रहती हो तुम हरदम
गाते गाते सरगम
चढ़ने लगा है तुम्हारे सर ग़म
अब उदास और निराश ही
रहती हो तुम हरदम
अरे, ऐसी भी क्या है बेबसी?
तुम तो सुंदर थी एक बेब सी
इस प्यार-वफ़ा के चक्कर में
क्यूँ सिकुड़ गई सड़े सेब सी?
इस से तो अच्छे हैं वो मंकी
जो कर लेते हैं अपने मन की
न करते हैं कोई गिला-शिकवा
न रखते हैं शर्त किसी बंधन की
सिएटल,
28 अगस्त 2008
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तम = अंधेरा
बेब = babe
सेब = सेव
मंकी = monkey
Thursday, August 28, 2008
प्रियतम
Posted by Rahul Upadhyaya at 2:22 PM
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Labels: relationship, valentine
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6 comments:
:) बहुत सही!!
बहुत ही बढ़िया.
अच्छी उधेड़ बुनी है।
kya bat hai,sahi hai
बहुत खूब
ha ha ha...
sikud gayee ho seb si...
nice one...
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