Saturday, August 23, 2008

तेरी खुशबू में बसी ई-मेल्स

तेरी खुशबू में बसी ई-मेल्स मैं डिलिट करता कैसे?
तेरी स्माईली से भरे आय-एम्स मैं डिलिट करता कैसे?

कभी रोमन तो कभी यूनिकोड में जो ख़त तूने लिखें
तूने दुनिया की निगाहों से जो बचाकर लिखे,
कभी घर तो कभी दफ़्तर से जो आय-एम तूने भेजें
कभी दिन में तो कभी रात में उठकर लिखे

जिनका हर लफ़्ज़, हर फ़ाँट मुझे याद था पानी की तरह,
प्यारे थे मुझको एक एक कॉमा, एक एक डॉट,
एक एक एक्रोनिम किसी अनमोल निशानी की तरह

तेरी खुशबू में बसी ई-मेल्स मैं डिलिट करता कैसे?
प्यार मे डूबे हुए आय-एम्स मैं डिलिट करता कैसे?
तेरे हाथों से लिखा 'आप भी ना' मैं डिलिट करता कैसे?

मैं उस कम्प्यूटर पर आज एक वाईरस छोड़ आया हूँ
मैं जो मरता हूँ तो क्या रोग उसे भी लगा आया हूँ

आज के बाद मेरे ब्लाग पर तुम मेरी कविताएँ पढ़ना
मेरी कविताएँ पढ़ कर मेरे हाल का अंदाज़ा करना
और हो सके तो मेरे वास्ते एक टिप्पणी लिखना

सिएटल,
23 अगस्त 2008
(राजेन्द्रनाथ रहबर से क्षमायाचना सहित)
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ई-मेल्स = emails
डिलिट = delete
स्माईली = smiley
आय-एम्स = IM, Instant Messenger
फ़ाँट = font
कॉमा = comma
डॉट = dot (.)
एक्रोनिम = acronym, जैसे कि ए-मि, शे-फि, OMG
कम्प्यूटर = computer
वाईरस = virus
ब्लाग = blog

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4 comments:

Anil Pusadkar said...

aapki technical post ko hi-tech badhai

Anonymous said...

मुश्किल था यूँ भी वक्त की आंधी को मोड़ना,
हम जीतने के खौफ्फ़ से हारे चले गए,
कैसी ये दिल्लगी ,दिल ने की है साथ मेरे,
की जब नज़र खुली , नजारे चले गए

Yogi said...

Bahut achi post hai!!

Bahut badhia...

Anonymous said...

रहुलजी, बहुत सुंदर और दुखदाई कविता है.

अर्पित