Monday, December 18, 2023

पूरब की धरती ने

पूरब की धरती ने

पश्चिम से धन लेकर के

कर लिया है अपना कबाड़ा 

अपना ये सोचे ना

स्वामी को छोड़े ना

करता ही जाए ये सेवा


लेता हैं ट्रेनिंग भी

बनता हैं शिक्षित भी

पर करने को सेवा ज़्यादा 

थक कर ये बैठे ना

कुछ और सोचे ना

बोनस का है ये दीवाना


कब इसने कुछ किया

जिससे कि जग हुआ 

कायल और नाम हमारा

सब कुछ ही कॉपी है

सब कुछ ही सर्विस है

अपनी नहीं मूल धारा


हर एक का सपना है 

देश को तजना है

देश है बिलकुल खटारा

फिर भी कुछ कहते हैं 

सारे जहां से 

अच्छा है देश हमारा


तब तक न जागेंगे

जब तक न मानेंगे 

कि सच न है कोई नारा

सेवा को छोड़ेंगे 

तब ही तो पाएँगे 

जो भी है लक्ष्य हमारा


राहुल उपाध्याय । 18 दिसम्बर 2023 । अम्स्टर्डम












जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

मिल जाये तरुवर कि छाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है

मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम


भटका हुआ मेरा मन था कोई

मिल ना रहा था सहारा

लहरों से लड़ती हुई नाव को

जैसे मिल ना रहा हो किनारा, मिल ना रहा हो किनारा

उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो

किसी ने किनारा दिखाया

ऐसा ही सुख ...


शीतल बने आग चंदन के जैसी

राघव कृपा हो जो तेरी

उजियाली पूनम की हो जाएं रातें

जो थीं अमावस अंधेरी, जो थीं अमावस अंधेरी

युग-युग से प्यासी मरुभूमि ने

जैसे सावन का संदेस पाया

ऐसा ही सुख ...


जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो

उस पर कदम मैं बढ़ाऊं

फूलों में खारों में, पतझड़ बहारों में

मैं न कभी डगमगाऊं, मैं न कभी डगमगाऊं

पानी के प्यासे को तक़दीर ने

जैसे जी भर के अमृत पिलाया

ऐसा ही सुख ...



गाना / Title: जैसे सूरज कि गर्मी से जलते हुए तन को - jaise suuraj ki garmii se jalate hue tan ko

चित्रपट / Film: परिणय-(Parinay)

संगीतकार / Music Director: जयदेव-(Jaidev)

गीतकार / Lyricist: Ramanand Sharma

गायक / Singer(s): Sharma Bandhu




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