Saturday, December 16, 2023

तुम थी मेरी

तुम थी मेरी

और मैं तुम्हारा 

मुझको ये सब पता नहीं था


ज़िन्दगी के मेले

कटेंगे अकेले

किसी से कभी सुना नहीं था


तुमसे बिछड़ कर

जो सुख-चैन पाया

मर्ज़ था मेरा, दवा नहीं था


अच्छी थी बेचैन

करती वो रातें 

जब नींद का कोई कतरा नहीं था


तड़पता था तुमको 

बाँहों में लेने

तुमसा कोई दूजा नहीं था


राहुल उपाध्याय । 17 दिसम्बर 2023 । अम्सटर्डम 




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