Friday, December 29, 2023

इक मन्दिर है, इक जलसा है

इक मन्दिर है, इक जलसा है

सब भक्तों की रची हुई माया है

वो कहाँ इन झंझट में 

पड़ता है न पड़ने वाला है 


हम लाख कहे वो ही कर्ता

फिर भी पूजे जाए कार्यकर्ता 

इसकी-उसकी हम जय करते

जय राम से पेट नहीं भरता 


अच्छा है क्या और ग़लत है क्या

हम-आप कहाँ ये समझेंगे 

जो आज ग़लत है कल सही होगा

हम भी तो हवा में बहकेंगे 


है कौन यहाँ जो सोचे कुछ 

सब भीड़ में शामिल रहते हैं 

है भेड़ सभी आदम हैं जो

बस पाँव पे दो वे चलते हैं 


राहुल उपाध्याय । 29 दिसम्बर 2023 । अम्स्टर्डम

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