फूल जो था वो बिखर गया
जाने कहाँ-कहाँ से गुज़र गया
मैं चाहता था जिसे कोई और था
ये तो नज़रों से मेरी उतर गया
जो कहता था मैं ऐसा हूँ
वो आज न जाने किधर गया
हर बार हुआ ये साथ मेरे
साथी बन के कोई मुकर गया
मैं रह गया वैसा का वैसा ही
और ज़माना सारा सुधर गया
राहुल उपाध्याय । 27 दिसम्बर 2023 । अम्सटर्डम
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