Thursday, December 7, 2023

मैं हूँ एक मुश्त खाक की

मैं हूँ एक मुश्त खाक़ की

मुझे साहिलों से गिला नहीं 

जो है बूँद-बूँद ख़ुद घिस रहा

मेरे मर्ज़ की वो दवा नहीं 


ये हैं ज़िंदगी की बुराईयाँ

ये हैं ज़िंदगी की ज़ीनतें 

जिसे जो मिला उसे वो मिला

करूँ क्यों किसी से शिकायतें 


जब वो ही हमको जनम से 

गरीब, अमीर में बाँट दे

हमसे भला क्यों ये आस है 

कि सबको एक सा प्रेम दें


हुआ जिसके कारण पार मैं

उस नाव का मैं क्या करूँ 

है इसी में मेरी बुद्धिमत्ता 

उसे छोड़ दूँ, उसे त्याग दूँ 


राहुल उपाध्याय । 7 दिसम्बर 2023 । सिंगापुर 


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