काश हम पालतू होते
तो हमारी उम्र
और हमारे दुख-दर्द को देख
वो सुला हमें देते
दवा-दारू के झंझट न होते
चीर-फाड़ की दुकान न होती
नर्सिंग होम के धंधे न चलते
मल-मूत्र बिस्तर में न होते
एक सुई
और हम सो गए होते
पालने वाले हमें
रो रहे होते
कुछ दिन बाद
हम भुला दिए गए होते
काश हम पालतू होते
तो सुला दिए गए होते
राहुल उपाध्याय । 18 दिसम्बर 2023 । अम्सटर्डम
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