मेरा वादा था
थोड़ा ज़्यादा था
तुझे तारों की दुनिया में ले जाऊँगा
तुझे देखा था
तुझे चाहा था
तुझे दशियों दिशाओं से माँगा था
मैंने सोचा था
तुझे पाऊँगा
तुझे जब चाहे मैं देख पाऊँगा
तुझे पाया था
सुख पाया था
सुख पाते ही सुख भाग गया था
अब दुख भी नहीं
कोई सुख भी नहीं
सुख-दुख से परे जैसे कुछ भी नहीं
कभी सोता हूँ
कभी जगता हूँ
बस सोते या जगते ही तर जाऊँगा
राहुल उपाध्याय । 19 दिसम्बर 2023 । अम्स्टर्डम
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