जा उनकी तरह तू ताज उतार
हमें नया कोई कर्णधार मिले
झेला है तुझे नौ साल बहुत
चेहरा नया इस बार मिले
जिस दिन से है देखा हम सबने
चाहा है तुझे, माना है तुझे
अब विदाई की घड़ियाँ आ ही गईं
कहना है हमें, जाना है तुझे
इस बाग में अब वो फूल खिले
जिनसे नयी बयार मिले
माना कि बहुत है काम किया
घर-घर शौचालय आ ही गया
अब और भी कोई विकास तो हो
मन्दिर जन-मन का बन ही गया
जो विज्ञान के क्षेत्र में काम करे
ऐसी कोई सरकार मिले
सालों से तुझे पूजा हमने
ऋषियों की तरह, मुनियों की तरह
नाज़ों से तुझे पाला हमने
अपनों की तरह, सपनों की तरह
अब जा के कहीं आराम तू कर
सुख-चैन तुझे हर द्वार मिले
राहुल उपाध्याय । 16 दिसम्बर 2023 । अम्सटर्डम
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