Friday, December 1, 2023

मैं इक लाइक भी दूँ

मैं इक लाइक भी दूँ 

तो सुलग उठती हूँ

कहाँ है संयम 

ख़ुद से पूछती हूँ


कितनी निर्लज्ज 

कितनी साहसी हूँ मैं 

डर-डर के सही

प्यार करती हूँ मैं 


प्यार किया तो

डरना क्या

है सिर्फ़ शकील 

या मीरा का तराना


ये डर ही तो है 

जो जोत जलाए

उसकी कविता में 

ख़ुद को पाए


सीधे-सीधे

हम बात करें ना 

इक दूजे को

कुछ कहे ना


वो निर्दयी, इतना दयालु

बात-बात पे कविता वो रच दे

मुझे उठा के फ़लक पे रख दे


राहुल उपाध्याय । 1 दिसम्बर 2023 । सिंगापुर 

http://mere--words.blogspot.com/2023/12/blog-post.html?m=1


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