Tuesday, December 5, 2023

बहारों की दुनिया ये कैसी है

बहारों की दुनिया ये कैसी है 

जो जीने को मुझसे कहती है

हवाएँ जो संग-संग चलती है 

कहाँ दुख ये मुझसे कहती हैं 


न जाने कहाँ आप खो गए

हँसने को मुझसे कहती हैं

कैसे कहूँ कुछ मैं उससे 

जो हर पल हँसती रहती है 


हम मर रहे हैं जी कर भी

ये जीने को मुझसे कहती हैं 

कैसी हैं नादान फ़िज़ाएँ भी

जो उड़ने को मुझसे कहती हैं 


ये दुनिया हमारी नहीं दुनिया 

अब ये परायी लगती है 

न जाने कहाँ खो गई मौसीक़ी

सुर में न दुनिया ये लगती है 


राहुल उपाध्याय । 6 दिसम्बर 2023 । सिंगापुर 

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