ज़िन्दगी इतनी हसीन है कि
आज कौनसा दिन है
कौनसी तारीख़
कुछ पता नहीं है
दिन
दिन हैं
उनके लेबल नहीं हैं
धूप है तो धूप है
बरखा है तो बरखा है
कोई अच्छा-बुरा नहीं है
ये बस है
ये ट्राम है
ये ट्रेन है
ये मेट्रो
सब आवागमन के साधन हैं
कोई भी कम-ज़्यादा नहीं है
ये शंघाई है
ये अम्स्टर्डम है
ये रीवा है
ये फ़रीदाबाद
सब अपनी-अपनी जगह ठीक है
सब गाँव हैं, शहर हैं, निगम हैं
रहने के स्थान हैं
ज़िन्दगी इतनी हसीन है
कि सबका ही सम्मान है
राहुल उपाध्याय । 21 दिसम्बर 2023 । अम्स्टर्डम
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