Friday, May 23, 2014

'पास' हुए और दूर हुए

जो जितना ज्यादा कमाता है
वो उतना ही घर कम आता है
यह बात समझ तब आती है
जब देर बहुत हो जाती है

जब बीज कहीं कोई बोता है
तब पता कहाँ होता है
कि फूल खिलेंगे तीस बरसों में
फल पकेंगे दूर वतनों में

और जब कभी वो घर आएगा
यहाँ की आब-ओ-हवा नहीं सह पाएगा
घर का पानी पिलाने को भी
मन तरस-तरस के रह जाएगा

मेहमान की तरह वो आएगा
और मेहमान की तरह चला जाएगा

कुछ गिले भी होगे
कुछ शिकवे भी होगे
पर मन कहाँ सब कह पाएगा

वो 'पास' हुए और दूर हुए
सपने यूँ हमारे चूर हुए

============

जो जितना ज्यादा कमाता है
उतना ही कम घर जाता है

'दीवार' के विजय से लेकर के
मुझ अदने अभागे तक को
यह समझ तब आता है
जब घर, घर नहीं रह जाता है
माँ-बाप का नाम तक
स्मार्टफोन के काँटेक्ट्स में
एक इंट्री बन के रह जाता है

जो रहते थे
अब रहे नहीं
कुछ कहनेवाले
कोई बचे नहीं

जब सफलता की सीढ़ी कोई कहीं चढ़ता है
तब उसे पता कहाँ चल पाता है
कि उतरते वक़्त एक बोझ भी होगा
आज खुशी है, कल अफ़सोस भी होगा

हम 'पास' हुए और दूर हुए
किस्से बेवफ़ाई के मशहूर हुए

23 मई 2014
सिएटल । 513-341-6798


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1 comments:

Anonymous said...

कमाने का word play अच्छा है:
"जो जितना ज्यादा कमाता है
वो उतना ही घर कम आता है"

एक और similar word play:
"जो जितना ज्यादा कमाता है
उतना ही कम काम आता है"

यह सच है कि:
"जब बीज कहीं कोई बोता है
तब पता कहाँ होता है
कि फूल खिलेंगे तीस बरसों में
फल पकेंगे दूर वतनों में"

फूल और फल का symbolic use बहुत अच्छा है!

"अदने अभागे" का meaning तो अभी नहीं पता पर Deewar के Vijay का reference बढ़िया है।

यह lines बहुत sentimental हैं:
"कुछ गिले भी होंगे
कुछ शिकवे भी होंगे
पर मन कहाँ सब कह पाएगा"

जब बहुत समय बीतने के बाद एक छोटी सी visit हो तो दिल की सारी बातें हो नहीं पाती हैं। शायद हम यह भी भूल जाते हैं कि कभी हम हक़ से खुल कर गिला-शिकवा किया करते थे। प्यार तो हमेशा रहता है मगर कुछ समय के लिए वो खुलापन और continuity कम हो जाती है।

Pass शब्द को different तरह से use करना बढ़िया है!

Last की lines गहरी हैं और अच्छी लिखी भी हैं:
"उतरते वक़्त एक बोझ भी होगा
आज खुशी है, कल अफ़सोस भी होगा"

खुशी के बाद अफ़सोस शब्द के use का दिल पर बहुत असर हुआ। एक second के लिए मन चुप सा हो गया...